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गुलज़ार - एक खूबसूरत बहुआयामी व्यक्तित्व

गुलज़ार के यहाँ ख़ामोशी की गूँज बहुत गहरी होती है. वे ख़ुद कहते हैं कि गीतों में मैं ख़ुद रोता हूँ, किसी को रुलाने के लिए नहीं लिखता. इसका कारण शायद मीरासी होने के कारण परिवार से उनकी बेदख्ली और फिर वैवाहिक रिश्ते की असफलता से पसरा अकेलापन है. यही अकेलापन उन्हें सालता है जिसका ज़िक्र उनकी कई नज्मों में मिलता है. जैसे-  जीने की वजह तो कोई नहीं मरने का बहाना ढूंढता हूँ.  गुलज़ार ‘रात’ को बेहद अहम मानते हैं क्योंकि उनका मानना है कि आदमी रात में सबसे ज्यादा अकेला होता है. शायद इसी कारण उनके अधिकाँश गीतों और नज्मों में ‘रात’ के साथ दिल, चाँद, और धुंए से उनकी मोहोब्बत महसूस की जा सकती है. यहाँ तक की उनके प्रमुख संग्रहों में से कई नाम भी इन्हीं पर आधारित है- ‘रात पश्मीने की’, ‘चाँद पुखराज का’, ‘धुंआ’, ‘चौरस रात’ आदि. ये बहुआयामी व्यक्तित्व हैं शायर , गीतकार , फिल्म निर्देशक , फिल्म पटकथाकार आदि । साहित्य में त्रिवेणी के जनक भी यही हैं । इनकी विलक्षण प्रतिभा को नमन
Listen to सच कहो - एक संक्षिप्त कविता by archana aggarwal #np on #SoundCloud https://soundcloud.com/archana-aggarwal-765009910/fiafphdyp9j2
Listen to Tanha Chand by Meenakumari by archana aggarwal #np on #SoundCloud https://soundcloud.com/archana-aggarwal-765009910/tanha-chand-by-meenakumari
Listen to Gazal written by Tausif Fatema by archana aggarwal #np on #SoundCloud https://soundcloud.com/archana-aggarwal-765009910/gazal-written-by-tausif-fatema