बस और कुछ नहीं
बैठे रहें यूँ ही आँखों में आँख डाले थामे इक दूजे का हाथ शिद्दत से गुज़रती रहें सदियाँ बहती रहें नदियाँ पिघलते रहें ग्लेशियर हम देह ना होकर तलाश बन जाएँ जो इक दूजे को ढूँढ कर सवाल बन जाएँ पहचान , याद पीछे छूट जाएँ बस तुम हो , मैं हूँ , हम हैं , बस और कुछ नहीं #दुआ