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मधुमास

भीगे अंतस में मधुमास पलता है किसी का प्यार हमें रोज़ छलता है शिराएँ मोगरे सी महकने लगतीं मन की सीमा रेखा बहकने लगती पल-पल सिक्त हो उसी को ढूँढती आँखें जो मन के तार छेड़ कहीं छुपता है  #दुआ