ए ज़िंदगी Get link Facebook Twitter Pinterest Email Other Apps October 22, 2016 ज़िंदगी गुमशुदा सी हुई है ऐसे इसका पता अब ढूँढूँ कैसे हम रक्स - ए - अकीदत यूँ कर बैठे अपनी आफ़ियत - ए - जाँ भुला बैठे कसूर उन बेकरारियों का भी था जो उनकी इबादत कर बैठे ये आफियत उनकी अकीदत अपनी हम खुदा से सब माँग बैठे Read more