ए ज़िंदगी
ज़िंदगी गुमशुदा सी हुई है ऐसे
इसका पता अब ढूँढूँ कैसे
हम रक्स - ए - अकीदत यूँ कर बैठे
अपनी आफ़ियत - ए - जाँ भुला बैठे
कसूर उन बेकरारियों का भी था
जो उनकी इबादत कर बैठे
ये आफियत उनकी अकीदत अपनी
हम खुदा से सब माँग बैठे
इसका पता अब ढूँढूँ कैसे
हम रक्स - ए - अकीदत यूँ कर बैठे
अपनी आफ़ियत - ए - जाँ भुला बैठे
कसूर उन बेकरारियों का भी था
जो उनकी इबादत कर बैठे
ये आफियत उनकी अकीदत अपनी
हम खुदा से सब माँग बैठे
Bahut Hi umdaa....
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