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Showing posts from May, 2019

भूख

जी हाँ 'भूख ' हूँ मैं मेरा नाम एक घर अनेक मैं रहती हूँ पेट की अंतड़ियों में छुपी कातर नयन , फैले हाथ में कहीं मेरा घर है लाला की तिजोरी में जो जितनी भरे खाली रहे मुझे चीन्ह सकोगे हवसी आँखों में तुम वस्त्रों को चीर देखते पाओगे गुम जी हाँ 'भूख ' हूँ मैं #दुआ

माँ

आज माँ से बातें करना चाहती हूँ ढेर सारी बादलों के पार , चंदा के गाँव में जो भी लाइन मिला दे उस नेटवर्क से जुड़ना चाहती हूँ पिछले इक्कीस सालों का बिछोह सारे रंजो गम , खुशियाँ जल्दी से बयाँ करना चाहती हूँ एक बार फिर उसके सीने से लिपट देह-गंध पाना चाहती हूँ काश... #दुआ