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किंचित

राजहंस के श्वेत पंखों से कुछ सृजन कर जाऊँगी कभी कण्व , कभी व्यास सा किंचित कुछ लिख पाऊँगी #अर्चना अग्रवाल 

जब भी देखूँ तेरा चेहरा नज़र आए किताब खुले तो सफ़ा कहाँ नज़र आए तेरी बातें , तेरी यादें और आँखेंतेरी अल्फ़ाज़ में तेरी हँसी नज़र आए दिल लगा के मेरा हाल बुरा हो गया अब आईने में तेरी सूरत नज़र आए

अर्चना

काँच सा कच्चा मन हरा हो गया  फागुनी फिर सफर हो गया  ढोलकें , शंख , होरी , ऋचाएँ  मन गीतों का घर हो गया  हृदय स्पंदित , अप्रतिम प्रेम कल्पना में मिलन हो गया  पूज्य हो तुम ,आराध्य हो तुम 'अर्चना ' हर प्रहर हो गया ..  #दुआ

propose day

लफ़्ज़ो की ज़रूरत ही नहीं है  तुम मुस्कुरा देना मैं पलकें झुका लूँगी 😊 #दुआ  #ProposeDay

रात गये

आगोश में वो आए तो साँसे थम गईं एक चाँद मचल गया एक रात बहक गई #दुआ #रातगये

क्या कहूँ

आँखों की कोरो से टपकी जो बूंदें उन्हें अश्क ना कहूँ तो क्या कहूँ तेरी याद में कुछ लिखा और मिटाया उसे शायरी ना कहूँ तो क्या कहूँ ख्वाब में देखा तुझे जी भर कर उसे झूठ ना कहूँ तो क्या कहूँ #दुआ

दर्द होता है

घाव अच्छे हैं अब लगते, दर्द होता है थोड़ा सा ये दुआएँ तुम्हारी हैं , मुझे पहले पता ना था तुम दिल के पास हो इतने ,धड़कते हो सीने में मैं ख़ुद को भूल जाती हूँ , मुझे पहले पता न था ज़िस्म की बंदिशें भूली , भटकती हूँ रूह बनकर ये अहसास की खुशबू , मुझे पहले पता ना था चाँद नमकीन होता है , चखा था कल रात मैंने ज़बाँ का ये ज़ायका , मुझे पहले पता ना था आँखों - आँखों में कह देते हो हज़ारों बातें गुफ़्तगू का ये सिलसिला , मुझे पहले पता ना था #दुआ 

रात खामोश है

रात खामोश है मेरे दिल की तरह तेरी याद महके महुआ की तरह ज़िस्म की बात सभी करते हैं  रूह को समझो फरिश्ते की तरह  मैंने चाँद से तेरा पता पूछा था  सर झुकाया उसने इक मुज़रिम की तरह सिमट आई ज़िंदगी इक लम्हे में  जी लिया तुझको अब खुशबू की तरह  चराग जलते हैं इंतिज़ार में तेरे  आँख भर आई अब दरिया की तरह  एक अहसास है भीगा - भीगा सा  पहली बारिश की सौंधी महक की तरह  पथराई आँखों में है एक अक्स ठहरा सा  चाँद पर बैठी अम्मा की तरह #दुआ

चले आओ

जीने की तलब लगी है साँस बन चले आओ  इन सर्द रातों की कसम  अलाव बन चले आओ  अबके सावन ना बरसी बारिश मान लो कहना अब्र बन चले आओ  अब ना कभी झगड़ेंगें तुमसे  प्रीत मनुहार बन चले आओ  माना कि भूलभुलैया हैं दिल्ली की गलियाँ गूगल मैप से पूछ चले आओ  मन्नतों के धागों में बाँधा है तुम्हें  अब कुबूलनामा बन चले आओ #दुआ

लफ़ज़

लफ़ज़ो की ज़रूरत ही नही है तुम मुस्कुरा देना मैं पलकें झुका लूँगी

तेरी सूरत

जब भी देखूँ तेरा चेहरा नज़र आए किताब खुले तो सफ़ा कहाँ नज़र आए तेरी बातें , तेरी यादें और आँखें तेरी अल्फ़ाज़ में तेरी हँसी नज़र आए दिल लगा के मेरा हाल बुरा हो गया अब आईने में तेरी सूरत नज़र आए