रात खामोश है

रात खामोश है मेरे दिल की तरह
तेरी याद महके महुआ की तरह
ज़िस्म की बात सभी करते हैं 
रूह को समझो फरिश्ते की तरह 
मैंने चाँद से तेरा पता पूछा था 
सर झुकाया उसने इक मुज़रिम की तरह
सिमट आई ज़िंदगी इक लम्हे में 
जी लिया तुझको अब खुशबू की तरह 
चराग जलते हैं इंतिज़ार में तेरे 
आँख भर आई अब दरिया की तरह 
एक अहसास है भीगा - भीगा सा 
पहली बारिश की सौंधी महक की तरह 
पथराई आँखों में है एक अक्स ठहरा सा 
चाँद पर बैठी अम्मा की तरह
#दुआ

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