चले आओ
जीने की तलब लगी है
साँस बन चले आओ
इन सर्द रातों की कसम
अलाव बन चले आओ
अबके सावन ना बरसी बारिश
मान लो कहना अब्र बन चले आओ
अब ना कभी झगड़ेंगें तुमसे
प्रीत मनुहार बन चले आओ
माना कि भूलभुलैया हैं दिल्ली की गलियाँ
गूगल मैप से पूछ चले आओ
मन्नतों के धागों में बाँधा है तुम्हें
अब कुबूलनामा बन चले आओ
#दुआ
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