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Showing posts from July, 2017

आशियाना

एक आशियाना ऐसा बनाना है सूरज को कंदील, चाँद द्वार पर सजाना है प्रेम , त्याग , समर्पण के फूल खिलाने हैं बगिया में रोज़ नेह का पानी देते जाना है दीवारों पर तेरी - मेरी तस्वीर लगानी है तस्वीर के आगे अपनी फोटो खिंचानी है स्वर्ग से देखे जो मेरे इस आशियाने को वो भी तरसे इसमें अपना घर बसाने को मौसम ऐसा हो कि न सर्दी लगे न गर्मी धूप - छाँव मिलन हो , सांझ की देहरी सजानी है बस .. ऐसा एक आशियाना बनाना है ... #दुआ

चेहरा

चेहरों पर चेहरे सजाए हुए हैं सब ही मुखौटे लगाए हुए हैं होठों पे बैठे खामोशी के पहरे दिल में दर्द के सागर गहरे कर जाती त्रुटि मैं पढ़ने में उनको हो जाती कुंठित मेरी चेतना समय के अरण्य में सब खो जाता है आह, मुझे क्या हो जाता है ? हर पग तले श्वास दबती जाती है ज़िंदगी क्या से क्या हो जाती है सोचती हूँ नोच दूँ ये आवरण उनके फिर ठिठक कर रुक जाती हूँ ओह मैं मूक सी हो जाती हूँ  #दुआ

गुनाह

जो रफ़ाक़त की अहद हमसे किया करते हैं वक़्त बदले तो वही पल में दग़ा करते हैं उनसे नज़रों का मिलाना ,हया को खो देना कुछ गुनाह कितने हसीन हुआ करते हैं उन्हें महसूस किया तसव्वुर में कह दीं दिल की बातें होश खो बैठे हैं मरने की दुआ करते हैं दीवानगी - ए-इश्क़ के बाद आता है होश कभी-कभी मख़्मूर निगाहों से फिर वार वो किया करते हैं उड़ के जलते हैं और जल के पिघल जाते हैं शम्मा - ए - दर चढ़कर परवाने फ़ना हुआ करते हैं #दुआ

ओस

ओस की बूँद हूँ मुझे कुछ पल जीने दो ना बाँधो बंधन में यूँ मुक्त ही रहने दो दूर से देखोगे तो मुझे हीरे की कनी सा पाओगे पास आओगे तो हाथ में लेने को मचल जाओगे ना करना स्पर्श मुझे अमलिन ही रहने दो ओस की बूँद हूँ मुझे कुछ पल जीने दो क्षणभंगुर जीवन है मेरा ,असीम निलय से आई हूँ बनकर तुषार इन पेड़ों पर नया रूप ले आई हूँ शशधर है मेरा यात्री संगी , चाँदनी में मुझे खिलने दो ओस की बूँद हूँ मुझे कुछ पल जीने दो #दुआ