ओस

ओस की बूँद हूँ मुझे कुछ पल जीने दो
ना बाँधो बंधन में यूँ मुक्त ही रहने दो
दूर से देखोगे तो मुझे हीरे की कनी सा पाओगे
पास आओगे तो हाथ में लेने को मचल जाओगे
ना करना स्पर्श मुझे अमलिन ही रहने दो
ओस की बूँद हूँ मुझे कुछ पल जीने दो
क्षणभंगुर जीवन है मेरा ,असीम निलय से आई हूँ
बनकर तुषार इन पेड़ों पर नया रूप ले आई हूँ
शशधर है मेरा यात्री संगी , चाँदनी में मुझे खिलने दो
ओस की बूँद हूँ मुझे कुछ पल जीने दो
#दुआ

Comments

Popular posts from this blog

जब भी देखूँ तेरा चेहरा नज़र आए किताब खुले तो सफ़ा कहाँ नज़र आए तेरी बातें , तेरी यादें और आँखेंतेरी अल्फ़ाज़ में तेरी हँसी नज़र आए दिल लगा के मेरा हाल बुरा हो गया अब आईने में तेरी सूरत नज़र आए

अखबार

सिसकियों की मर्म व्यथा