गुनाह

जो रफ़ाक़त की अहद हमसे किया करते हैं
वक़्त बदले तो वही पल में दग़ा करते हैं

उनसे नज़रों का मिलाना ,हया को खो देना
कुछ गुनाह कितने हसीन हुआ करते हैं

उन्हें महसूस किया तसव्वुर में कह दीं दिल की बातें
होश खो बैठे हैं मरने की दुआ करते हैं

दीवानगी - ए-इश्क़ के बाद आता है होश कभी-कभी
मख़्मूर निगाहों से फिर वार वो किया करते हैं

उड़ के जलते हैं और जल के पिघल जाते हैं
शम्मा - ए - दर चढ़कर परवाने फ़ना हुआ करते हैं
#दुआ

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