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Showing posts from March, 2018

प्रतीक्षा और आशा

रात्रि का तारामंडल अनंत चहुँ ओर जो खिला है बसंत दुख अब सुख में बदलने लगे काव्य भाव उमड़ने लगे हो रहा है मदिर शरीर करे वो प्रतीक्षा हो अधीर अंखियों में भरता है स्नेह कुछ लजीली कंपित सी है देह प्रेम पगा जीवन अमोल मन में अनिश्चय रहा डोल कब सुनूँगी मधुर बोल विधु अब मकरंद घोल यद्यपि नहीं जीवन में अभाव क्यूँ देतीं ये स्मृतियाँ  घाव पुनः मिलन आशा की जाग हो रहा स्नेह संचित अनुराग चलती जीवन कंपन की तरंग मन बावरा उड़े ज्यूँ पतंग अब त्याग दी बात निराशा की और ओढ़ी चुनरी अभिलाषा की है हृदय में उसके अगाध विश्वास शीघ्र प्रिय होंगे अब पास जीवन नैया के वो पतवार करे उत्सर्ग वो समस्त विकार #दुआ

मृत्यु

मृत्यु हादसा नहीं एक अन्य यात्रा का द्वार है अनंत उजाले की ओर इस काया से परे समस्त ताप, परितापों का त्याग अहा ! मृत्यु इस मृत्युलोक से छुटकारा दिलाती है #दुआ

कैसे कहूँ ????

देखती हूँ रोज़ नन्ही बच्चियों की रेप की खबरें कैसे कहूँ शुभ हो महिला दिवस चोरी छुपे अब भी मसली जातीं कलियाँ गर्भ में कैसे कहूँ शुभ हो महिला दिवस बस में आज भी होती है छेड़खानी कैसे कहूँ शुभ हो महिला दिवस निर्भया के हत्यारे आज भी हैं ज़िंदा कैसे कहूँ शुभ हो महिला दिवस #दुआ

चदरिया इश्क की

इश्क बुनना था कुछ रेशों से कुछ पलों से कुछ ख्वाब सजाने थे चाँद से सितारों से कम पड़ गए पल ,सितारे फिर बुनूँगी चदरिया झीनी उन बादलों के पार बादलों के पार खूबसूरत दुनिया होगी जहाँ ना ईर्ष्या,लिप्सा होगी रंग दूँगी सात रंगों से फिर ओढूँगी चदरिया झीनी इश्क महकेगा रूह पर मेरी #दुआ

निस्तब्ध रात्रि

निस्तब्ध मौन रात्रि ओढ़े सितारों की चुनरी चाँद लौंग पहन अश्रु के जुगनू सजाती है भावों , अनुभावों को अनाविल शब्द दे जाती है #दुआ

आ , तुझे अमर बना दूँ

अहा फागुन का चाँद उतर आया मन आकाश में करूँ आत्मबोध कभी आत्मशोध शाश्वत नहीं ये जीवन तो क्यूँ ना करूँ काव्य सृजन भाव-भूमि पर पुष्प खिला दूँ आ तुझे अमर बना दूँ  अतीत के झरोखों से स्मृतियों के ताने-बाने से यौवन की उमंगों से कुछ पुराने चित्रों से फिर तेरी तस्वीर बना दूँ आ तुझे अमर बना दूँ #दुआ

ज़िंदगी यूँ तुम्हें जिया जाए

ज़िंदगी काटी नहीं जाती जी जाती है धूप के टुकड़ों में छाँव के कोनों में विस्मृत स्मृतियों में भविष्य की आशा में आगत की आहट में कल्पना की सुगबुगाहट में ज़िंदगी काटी नहीं जी जाती है ज़िंदगी काटी नहीं जाती जी जाती है चाँद के प्यार में चाँदनी के खुमार में सितारों के साथ में प्रिय की आस में एक अबूझ प्यास में  किस्सों में कहानियों में पात्रों के सृजन में कटुता के विसर्जन में ज़िंदगी काटी नहीं जी जाती है ज़िंदगी काटी नहीं जाती जी जाती है किसी के आँसू पीने में कुछ अच्छा करने में निःस्वार्थ भला करने में तपते हृदय को शीतलता देने में कुछ मधुर लिखने में कुछ अच्छा पढ़ने में ज़िंदगी काटी नहीं जी जाती है #दुआ