चदरिया इश्क की
इश्क बुनना था
कुछ रेशों से
कुछ पलों से
कुछ ख्वाब सजाने थे
चाँद से
सितारों से
कम पड़ गए पल ,सितारे
फिर बुनूँगी चदरिया झीनी
उन बादलों के पार
बादलों के पार
खूबसूरत दुनिया होगी
जहाँ ना ईर्ष्या,लिप्सा होगी
रंग दूँगी सात रंगों से
फिर ओढूँगी चदरिया झीनी
इश्क महकेगा रूह पर मेरी
#दुआ
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