ख़ुद से बातें

साँसों में सांसें यूँ घुलने लगीं
मैं तेरे नाम से महकने लगी
लरजता है यौवन ,बहकते कदम
अंगड़ाई  पोर - पोर चढ़ने लगी 

कौन कहता है इश्क है सजा
मैं तो पींगें इसमें भरने लगी
याद आए ,कांपने लगे हैं लब
सोचूँ तुम्हें ,खुद से बातें करने लगी
#दुआ

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