किस्से-कहानियाँ

किस्सागो होना मुझे बचपन से पसंद है । किस्से-कहानियाँ सुनाती थी हमेशा

सबको । एक हास्य पात्र बना रखा था कल्पना में , 'चिकलू'  इसकी ढेर सारी

मज़ेदार कहानियाँ बनाकर सबको सुनाती थी । सब लोटपोट होते रहते , सुनते

रहते , सच बड़ा मज़ा आता । किस्से राह में बैठे होते हैं इंतज़ार में कि कब कोई

आए और उन्हें ले जाए , सहेज कर अपने साथ । हम हीं बहुधा नज़रअंदाज कर

देते हैं उन्हें जीवन की भागदौड़ में । ज़रा रुकिए , ठहरिए सोचिए ना इतनी ज़ल्दी

भी क्या है , एक किस्सा ले लीजिए ना , काम आएगा , सुनने - सुनाने के I

गर्मी की लंबी दोपहर हो या सर्दियों की गुनगुनाती धूप - कहानियों के साथ कितनी

खट्टी मिठ्ठी , मज़ेदार हो जाती है ना ।

तपते रेगिस्तान की जलती रेत जैसी ये ज़िंदगी और किस्से-कहानियाँ जैसे बारिश

की फुहारें जो तन -मन को आप्लावित तो करती ही हैं , सौंधी महक भी ले आती

हैं । तो देर किस बात की भीग जाइए ना इस बौछार में , कुछ कहिए कुछ सुनिये

यूँ ही बीत जाएगा ये सुहाना सफर ।

Comments

  1. Chikalu ke hasya kisse yaa aur koi kisse jindagi ko khush rakhane ke liye all weather kisse ...wah bahut khushnumaa baat aur kisso ki baat..bahut achchha racha aapne ...

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