जीत लेती हूँ
थोड़ा जीत लेती हूँ
थोड़ा हार जाती हूँ
साँसों की लय में हरदम
वही संगीत पाती हूँ
कभी अँधेरा है घना
कभी उजास दिखती है
इस धूप छौंही खेल में
खुद को फिर भी
ढूँढ लेती हूँ
ऑखें बंद कर बैठूँ
तुम दिखाई देते हो
सबकी नज़रों से दूर
तुमसे बातें करती हूँ
कोई क्या जाने मेरे
दिन - प्रतिदिन के संघर्ष
कभी हँसने लगती हूँ
कभी रो पड़ती हूँ
#दुआ
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