यूँ ही ......
यूँ ही बैठे-बैठे सोचती हूँ मैं क्या वो भी मुझे सोचता होगा जब सुनाई देती होगी मेरी सदा क्या पलट कर देखता होगा जब गिरती होंगी बारिशें क्या मुझे खोजता होगा उतरती होगी जब शाम नशीली क्या मेरा अक्स उकेरता होगा किस्सों ,कहानियों में क्या मुझे ढूँढता होगा टी वी पर जब देखता होगा गाने क्या मेरे संग नाचता होगा करता होगा जब इबादत मेरे लिए दुआ माँगता होगा बिछड़ने के गम में अब भी क्या अश्क बहाता होगा #दुआ