चाँद को बताया जाए
इस शहर से मन भर गया यारों
चलो शहर कोई दूसरा बसाया जाए
बिना मतलब के भी बात कर लो
क्या ज़रूरत है मतलब पे याद आया जाए
उगते सूरज को सब सलाम करते हैं
कभी अँधेरो से दिल लगाया जाए
हो ही जाती है सबसे गलती कभी ना कभी
क्या ज़रूरी है फ़ासला बढ़ाया जाए
दिल में छुपी रहती हैं मासूम ख्वाहिशें कितनी
क्यों न आज चाँद को बताया जाए
#दुआ
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