पी का वियोग
नयनों में डोरे लाल
पी का वियोग है भारी
जागे गोरी रात भर
जीवन संग्राम कटारी
चिर वियोग की ज्वाला है
दग्ध हो उठा हृदय
कठिन है ये साधना बहुत
किंतु पावन है प्रणय
केश हैं रूखे , होंठ हैं सूखे
दयनीय है अब हाल
कभी स्वर्णिम था अतीत परंतु
अब दुष्कर है ये काल
#दुआ
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