संध्या सुंदरी

संध्या सुंदरी अवतरण
तारों का प्रज्ज्वलित वेणी बंधन
बसंत रजनी है ये प्रिय
कंपित , स्पंदित मेरा हिय

क्या द्वैत क्या अद्वैत
क्या परिचय क्या अपरिचय
प्राण प्रियमय , प्रिय प्राणमय
आह ये श्वासों का अवगुंठन

#दुआ

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