कविता जन्म लेती है
बढ़ जाती घुटन हृदय में
प्रस्फुटित होती काव्य रूप में
मौन में भी बातें करे मन
उगता है गीत हृदय में
ख़ुद की पहचान भी हो जाए दूभर
पहली बरसात की सौंधी महक
कागज पर अंकित हो जाती है
फ़िर एक कविता जन्म लेती है
पुकारे स्वयं को स्वयं की धड़कन
ठिठके कदम रोए अन्तर्मन
मिल जाए नई ज़िंदगी की छुअन
फ़िर एक कविता जन्म लेती है
आहट आए मृत्यु की
आहें भरे साँसों का स्पंदन
आँसू रूकें जमें पलकों पर
फिर एक कविता जन्म लेती है
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