हृदय पढ लूँगी
बस चुपचाप बैठो मेरे पास
सुनो मेरी खामोशी
महसूस करो वो अनकहा
जो उमड़ घुमड़ रहा अन्तस में
युग-युगांतर से
पिछले कई जन्मों से
इस जन्म तक
अब तो सुन लो ........
जब भ्रमण करेंगी हमारी आत्माएँ
असंख्य ग्रह , मंडलों के मध्य
तारों के समीप , चाँद लोक में
तब संवाद की स्थिति से परे
तुम मेरे इंगित समझ लेना
मैं तुम्हारा हृदय पढ़ लूँगी
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