असंभव नहीं
देह में होकर
देह से भिन्न सोचना
कठिन है असंभव नहीं
बात करना बहती नदी से ,वृक्ष से
सुखद है असंभव नहीं
स्वयं में रहकर तुम्हें पा लेना
प्रेम है वासना नहीं
दहकते पलाश पर कविता लिखना
भाव है , उन्मुक्तता नहीं
सुर साधना
नाभि तक उठना अनहद नाद
कठिन है असंभव नहीं
फूस की झोंपड़ी में खिलखिलाहट
सुखद है असंभव नहीं
हल्की वर्षा से मदिर गंध
नशा है व्यसन नहीं
जीने के लिए कविता लिखना
खूबसूरत है विवशता नहीं
#दुआ
आपकी भावनाओं को बखूबी शब्द देते है आप !आपको ढेरो शुभकामनाएं !
ReplyDeleteधन्यवाद :)
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