कुछ समझे ?
तुम्हारा नेह ..
रेशम के कीड़ों सा
अर्जुन के वृक्ष पर
पले , बढ़े तब तक
रेशम की गुठली ना निकाली जाए जब तक
मेरा प्रेम ..
सुर साधक के विकल कंठ सा
आत्मा के आर्तनाद की तरह
अविरल रक्त प्रवाह समान
कुछ समझे ?
#दुआ
तुम्हारा नेह ..
रेशम के कीड़ों सा
अर्जुन के वृक्ष पर
पले , बढ़े तब तक
रेशम की गुठली ना निकाली जाए जब तक
मेरा प्रेम ..
सुर साधक के विकल कंठ सा
आत्मा के आर्तनाद की तरह
अविरल रक्त प्रवाह समान
कुछ समझे ?
#दुआ
आपकी कलम में जबरजस्त ताक़त है ! 👌👌👌
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