चिठ्ठी


आज भी याद आती है वो कलम से लिखी चिठ्ठी
जिस पर मिलती थीं अपनों की खबरें
वो दुख की तस्वीरें
वो सुख की तहरीरें
पेड़ों पर लगे आम
खेतों में लहलहाता धान
सब दिखता था उसमें
अम्मा की दवा का ब्यौरा
छोटू की फरमाइशें
सब खो गया कहीं
what's app से फारवर्ड जो हो गए हम
#दुआ

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