बसंत तुम

मधुमय बसंत तुम
जीवन धन तुम
अलसाई अलकों में
राग चंद्र तुम
कुंतल जाल पाश में
मेरे हृदय को
करती कैद तुम
पुलकित , उन्नत सर्वांग मेरा
मधुकरी का संचित धन तुम

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