ध्यान

हृदय में जागी नव अभिलाषा
कुछ अतिरंजित कुछ उत्प्रेरक सी
विचारों की यह नव तरिणी
होती अग्रसर नवयौवना  सी
मैं तटस्थ बैठी ध्यानमग्न
देख रही ये नव विचलन
जीवन का नूतन मार्ग यह
अहा ये कैसी नवसृष्टि

नेत्र उन्मीलित
पलकें संकुचित
श्वास स्वर मध्यम
मैं अंतस में उतर गई
हुआ प्रकाश पुंज साक्षी मेरा
नवजीवन मैंने प्राप्त किया
हे सृष्टि नियामक धन्यवाद तेरा

#दुआ

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