कैसे लिखूँ
कैसे लिखूँ उन बातों को
जो कह दी थीं तुमने इक क्षण में
जब थम गई थी पृथ्वी
रूक गया था सब कुछ
बस इक उस क्षण में
मैंने जी लिए थे असंख्य जन्म
भोला पाखी सा मन
चाँद को मुठ्ठी में भर लेना चाहता था
तब मैंने स्वयं को उगते देखा था
तुम्हारी बाँहों में
#दुआ
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