जीना चाहती हूँ

कुछ पन्ने फ़िर लिखना चाहती हूँ
मैं ज़िंदगी दोबारा जीना चाहती हूँ
मिटा दूँ कालखंड से चॉक के निशाँ
डस्टर से अतीत पोंछना चाहती हूँ
बनूँ फ़िर अपनी मर्जी की मालिक
तकदीर फिर लिखना चाहती हूँ
न ही कोई विवशता न भय
मैं खुल के साँस लेना चाहती हूँ
जिऊँ फिर से अपनी शर्तो पर
ए ज़िंदगी तुझे अपनाना चाहती हूँ

#दुआ

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