चाँद देखना

तुम अपने शहर में चाँद देखना

मैं अपने शहर में

मैं उसमें खारे पानी का दरिया देखूँगी

तुम भावनाओं के ज्वार देखना

वहाँ हमारा छोटा सा घर भी है

जिसके दरवाज़े नीलम से बने हैं

और रसोई की चिमनी पुखराज से

कंदील सितारों के हैं तो

खिड़की बादलों की

गृह तोरण इंद्रधनुष का **

#दुआ

Comments

Popular posts from this blog

जब भी देखूँ तेरा चेहरा नज़र आए किताब खुले तो सफ़ा कहाँ नज़र आए तेरी बातें , तेरी यादें और आँखेंतेरी अल्फ़ाज़ में तेरी हँसी नज़र आए दिल लगा के मेरा हाल बुरा हो गया अब आईने में तेरी सूरत नज़र आए

अखबार

सिसकियों की मर्म व्यथा