मन का सावन
रोज़ सवेरे जो खोल लेते हो गेसू
अब शाम देखूँ कि सवेरा देखूँ
चाँद बेपरदा रहे तुम परदे में
उसके जमाल को देखूँ कि तुमसे बात करुँ
इश्क की बारिश में हम भीगते रहे
तेरा इन्कार देखूँ कि मन का सावन देखूँ
कसमें दिला- दिला कर मैं तो हार गया रे
अपनी कसक देखूँ कि तेरी हया देखूँ
#दुआ
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