तलबगार ना थे
उनसे ना मिले थे तो तलबगार ना थे
और कुछ भी थे मगर बेज़ार ना थे
वो जो कसक सी लगे है दिल में
हालात अपने आज़ार ना थे
ये तीरगी है मेरे मुकद्दर की
मेरे हिस्से में ख़ार - ज़ार ना थे
सब्र हो तो मोहब्बत कैसी
मुन्तज़िर दिल में करार ना थे
मेरी निगाह ने ना कुछ बयाँ किया
तेरी निगाह से क्या आश्कार ना थे
तेरे वादे पे हम जीते हैं सनम
मर जाते जो ये ऐतबार ना थे
#दुआ
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