कभी-कभी

कभी-कभी ख़ुद से बातें करने को जी करता है
कभी-कभी ख़्वाबों में रहने को जी करता है

ज़िंदगी हर लम्हा रंग बदलती है
इन रंगों में रंग जाने को जी करता है

दूर है मंज़िल , सफ़र भी है मुश्किल
पर एक पल में ही पहुँच जाने को जी करता है

महफ़िल में फैली हो जब खामोशी हर तरफ
फ़िर तन्हाइयों में रहने को जी करता है

ख़ुशियों की दुकानों में मिलती हैं नकली ख़ुशियाँ
अब तो मुफ़्त के गम ही पाने को जी करता है

कभी-कभी ख़ुद से बातें करने को जी करता है

#दुआ

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